Ek mard ka ankaha dard ।kavitaon_ki_yatra: जब आँसू ने आँख से पूछा— ‘क्या मर्द मैं!’(Ek mard ka ankaha dard: jb aansoo ne aankh se poocha-'kya mard main!')
Ek mard ka ankaha dard।kavitaon_ki_yatra:-जब आँसू ने आँख से पूछा-'क्या मर्द मैं !
समाज हमेशा उन्हें मज़बूत देखना चाहता है, लेकिन उस 'फर्ज़' और 'कर्तव्य' के बोझ के नीचे कितनी ही भावनाएँ दबी रह जाती हैं। यह कविता उस दबे हुए दर्द, त्याग और सामाजिक उपेक्षा का मार्मिक चित्रण है, Ek mard ke ankahe dard को दिखाने के आँसू खुद आँख से सवाल करते हैं।
यह केवल कवि की नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की कहानी है जो दूसरों की नज़रों में 'शृंगार' को निखरता देखता है, जबकि खुद चुपचाप क्षीण होता जाता है।
प्रस्तुत है, आँखों और आँसू के बीच का यह काव्यस्वरूपी हृदयस्पर्शी संवाद:
रो रहा मैं! दुख मुझे है,पर तू बता किस बात पे।
कर रही तू व्यंग्य मुझ पे,रो-रो बता क्या मर्द मैं!-
देखले तू आज अंदर,कितने छुपे ही दर्द हैं!१
तू दिखाती दर्द अपना,बहा रहा और दर्द मैं!
बंद पलकें कर रही तू,हूँ भींग जाता सर्द मैं!
नींद लेती थक सुनो तू,निभा रहा और फर्ज़ मैं!-
रात दिन हो धूप गर्मी,सुन काम करता गर्द मैं!२
मैं बुरा हूँ और कहते,बेकार इसको पोसते।
हो सदा शृंगार तेरी,सब दूर मुझको कर रहे-
रूप तेरी नित्य निखरे,सब क्षीण मुझको कर रहे।३
कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न:-
१.पंचचामर छंद की परिभाषा तथा विधान बताएं ?
उत्तर- पंचचामर छंद एक वार्णिक छंद है, जिसमें कुल १६ वर्ण होते हैं। इस छंद का विधान लघु गुरु संयोजन×८=१६
वर्ण तथा मापनी इस प्रकार हैं:-
१२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२
२.डमरू घनाक्षरी छंद की परिभाषा तथा विधान बताएं ?
उत्तर-यह भी एक वार्णिक छंद है जिसमें कुल ३२ वर्ण होते हैं।
डमरू की निनाद डमक डम ,डमक डम की भांति श्रुति में प्रतीत होने वाला यह छंद कवियों द्वारा अति पसंद किया जाता है।
चार पदों वाले इस छंद की मापनी इस प्रकार हैं
८-८-८-८ वर्ण प्रति चरण तुकांत तथा सभी वर्ण लघु होंगे।
३.चुलियाला छंद की परिभाषा तथा विधान बताएं ?
उत्तर- इस मात्रिक छंद में दोहे के विषम चरणों को यथावत(१३ मात्रा) रखकर सम चरणों के पदांत यानि (११ मात्रा) के बाद १२११ जोड़कर लिखा जाता है।
४.छंद विज्ञों के अनुसार चुलियाला छंद का एक और क्या नाम है तथा इसके कितने प्रकार प्रसिद्ध हैं :-
उत्तर-छंद विज्ञों के अनुसार चुलियाला छंद का एक और नाम चूड़ामणि छंद है तथा विद्वानों के अनुसार इसके आठ प्रकार प्रसिद्ध है,जो दोहे के विषम चरणों के ११ मात्रा के बाद आने वाले पचकल मात्राओं में कुछ बदलाव से निर्मित होते हैं।
५.ताण्डव छंद की विधान तथा परिभाषा बताएं ?
उत्तर-यह एक आदित्य जाति का छंद है,जिसमें चार चरण तथा दो-दो या चारों चरण समतुकांत होने के साथ-साथ पदांत १२१ तथा आरंभ लघु मात्रा से अनिवार्य होता है।
६.आदित्य जाति के छंद से क्या आशय है ?
उत्तर- आदित्य जाति के छंद से आशय ऐसे छंदों से है जिसकी मात्राभार १२ मात्रा प्रतिपद होती है।
मुख्य विषय: Hindi Poetry, पुरूष का दर्द, Mard Ka Dard, Emotional Kavita, Bharat Bhushan Pathak, Muktak Chhand
* भावनात्मक: Duty And Sacrifice, Suppressed Emotions, Hidden Pain
* विषय: Aansu Aur Aankh, Sam Matrik Chhand
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