श्रीरामायणामृतम् भाग-७
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सज्जनों! आप सभी के आशीर्वाद से मैंने पुनः रामायण लिखने का तुच्छ प्रयत्न किया है जिसे काव्य खण्डों में विभाजित कर यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ,आज के इस सातवें प्रसंग में जनकपुरी में सीता-स्वयंवर, इस अवसर पर शिव -चाप भंग,परशुराम जी के स्वयंवर सभा में आकर क्रोध करने ,लक्ष्मण जी व परशुराम जी के संवाद, श्रीराम जी का परशुराम जी से विनती,परशुराम जी का प्रभु श्रीराम को अपनी बात स्पष्ट करने के लिए शारङ्ग धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने को कहने, प्रत्यंचा चढ़ाकर राम जी का किस ओर बाण संधान करें यह कहने, परशुराम जी का संतुष्ट होकर सभा से जाने का वर्णन करने का प्रयत्न मैंने किया है।
इस प्रसंग की सफलता हेतु सर्वप्रथम सिद्धिदाता श्री गणेश, बाबा शुम्भेश्वरनाथ व माता शारदे से आशीर्वाद प्राप्त कर आप सबकी भी यथायोग्य प्यार-दुलार आशीर्वाद की कामना है।
। ।श्री गणेश स्तुति।।
प्रथम नमन हे गजवदन,विनती बारंबार।
राघव चरित्र लिख रहा,आप ही बस आधार।।
भारत भूषण पाठक'देवांश' 🙏🌹🙏
।। बाबा शुम्भेश्वरनाथ वर्णन
अति पावन शुम्भेश्वर धाम। जहाँ दुख मेटे है अविराम।।
वैद्य-बासुकी मध्य रहे हैं। जागृत वह भी भक्त कहे हैं।।
बाबा जिसको यहाँ बुलाए।।भक्त यहाँ वे दौड़े आए।।
बाबा की महिमा अति भारी। डर से भागे सब बीमारी।।
भारत भूषण पाठक'देवांश' 🙏🌹🙏
राधेश्यामी छंद में माता शारदे की स्तुति:-
।।शारद स्तुति।।
शारद माता विद्यादाता। यह विनती तुमसे करता हूँ।।
वंदना मेरी तुम सुन लो माँ।बस भाव सुमन मैं धरता हूँ।।
मूढ़ अधम या नीच अगर मैं। तुम कृपा मगर इतनी करना।
राम चरित मैं भी लिख पाऊँ। सदा लेखनी मेरी धरना।।
सृजन यहाँ जो भी मैं करता। माँ भाव मगर बस तुम देना।।
अगर हुआ मैं विचलित लिखते। तुम थाम लेखनी आ लेना।।
भारत भूषण पाठक'देवांश' 🙏🌹🙏
कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न:-
१.सिय स्वयंवर प्रसंग में क्या कुछ सीखने लायक वृतांत है ?
उत्तर-जी हाँ,इस प्रसंग में बहुत कुछ अनुकरणीय है।
उदाहरणार्थ श्रीराम भी राजकुमार होने के बाद भी स्वयंवर के लिए तब तक आगे नहीं आए,जब तक गुरु आज्ञा प्राप्त नहीं हुई।
परशुराम जी के क्रोध करने पर भी श्रीराम ने उनसे विनीत भाव से ही बात की।
२. क्या कंब रामायण किसी अन्य आधार पर लिखी गई है?
उत्तर-नहीं महर्षि कंब ने भी वाल्मीकि रामायण को ही आधार मानकर अपनी रामायण लिखी है।
महर्षि ने केवल अपने रामायण को जन-जन तक दक्षिण में पहुँचाने के लिए ही इसकी रचना की है।
३.क्या कंब रामायण के प्रति लोगोें के बीच में कुछ भ्रांतियां फैली हुई है ?
उत्तर- हाँ, इसके विषय में लोगों में कुछ भ्रांतियां फैली हुई है।कुछ लोगों ने तो मुझे भी यह बताया कि माता सीता रावण की पुत्री हैं,ऐसा कंब ने लिखा है।
पर प्रश्न यह उठता है कि जब "कंब रामायण" महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण को आधार मानकर लिखी गयी है,तो यह भ्रांति आधार विहीन ही हुई।
४.पंचचामर छंद की परिभाषा तथा विधान बताएं ?
उत्तर- पंचचामर छंद एक वार्णिक छंद है, जिसमें कुल १६ वर्ण होते हैं। इस छंद का विधान लघु गुरु संयोजन×८=१६
वर्ण तथा मापनी इस प्रकार हैं:-
१२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२
५.डमरू घनाक्षरी छंद की परिभाषा तथा विधान बताएं ?
उत्तर-यह भी एक वार्णिक छंद है जिसमें कुल ३२ वर्ण होते हैं।
डमरू की निनाद डमक डम ,डमक डम की भांति श्रुति में प्रतीत होने वाला यह छंद कवियों द्वारा अति पसंद किया जाता है।
चार पदों वाले इस छंद की मापनी इस प्रकार हैं
८-८-८-८ वर्ण प्रति चरण तुकांत तथा सभी वर्ण लघु होंगे।
६.चुलियाला छंद की परिभाषा तथा विधान बताएं ?
उत्तर- इस मात्रिक छंद में दोहे के विषम चरणों को यथावत(१३ मात्रा) रखकर सम चरणों के पदांत यानि (११ मात्रा) के बाद १२११ जोड़कर लिखा जाता है।
७.छंद विज्ञों के अनुसार चुलियाला छंद का एक और क्या नाम है तथा इसके कितने प्रकार प्रसिद्ध हैं :-
उत्तर-छंद विज्ञों के अनुसार चुलियाला छंद का एक और नाम चूड़ामणि छंद है तथा विद्वानों के अनुसार इसके आठ प्रकार प्रसिद्ध है,जो दोहे के विषम चरणों के ११ मात्रा के बाद आने वाले पचकल मात्राओं में कुछ बदलाव से निर्मित होते हैं।
८. ताण्डव छंद की विधान तथा परिभाषा बताएं ?
उत्तर-यह एक आदित्य जाति का छंद है,जिसमें चार चरण तथा दो-दो या चारों चरण समतुकांत होने के साथ-साथ पदांत १२१ तथा आरंभ लघु मात्रा से अनिवार्य होता है।
९. आदित्य जाति के छंद से क्या आशय है ?
उत्तर- आदित्य जाति के छंद से आशय ऐसे छंदों से है जिसकी मात्राभार १२ मात्रा प्रतिपद होती है।


टिप्पणियाँ
Sir, your interpretation of the Ramayan connects ancient values to today’s world so effectively. Brilliant work.
👑👑👑🎖️🎖️🎖️💫💫💫💯💯💯🎀🎀
अतएव यह बूँद भर प्रयत्न मात्र है।