तरंग छंद में भारत माँ की स्तुति: काव्य रचना व छंद विधान

          भारत माँ की भावपूर्ण स्तुति:

तरंग छंद(वर्णिक) छंद में रचित विशेष काव्य पंक्तियाँ


"Bharat Mata ki stuti-Tarang Chhand"
   "माँ भारती: शौर्य, त्याग और राष्ट्रभक्ति की शाश्वत प्रेरणा।"

"राष्ट्रभक्ति के स्वर जब छंदमाल में सजाए जाते हैं, तो वे राष्ट्र में केवल राष्ट्रभक्ति की सुगंध ही नहीं, अपितु प्रेरक ऊर्जा का संचार कर देते हैं, जो राष्ट्रभक्ति को अटूट शक्ति प्रदान करते हैं। इस वर्ष 'विजय दिवस' के पावन अवसर पर मैंने भी माँ भारती की स्मृति में कुछ पंक्तियाँ बुनना प्रारम्भ किया था।
सौभाग्य से साहित्य धरातल के 'साहित्य संगम संस्थान', विज्ञ छंद 'विज्ञानशाला' जैसे प्रतिष्ठित मंचों और वहाँ के वरिष्ठ दिग्गजों के मार्गदर्शन ने मुझे 'तरंग छंद' (वर्णिक छंद) की नींव रखने के लिए उसकी बारीकियों को समझने और इस रचना को पूर्ण करने का संबल प्रदान किया।"

         बेहतर मुख्य बिन्दु (Table of Contents):

  तरंग छंद :व्याकरणिक विवेचना :छंद की आंतरिक संरचना

"साहित्यिक अनुशासन और छंद के शुद्ध निर्वहन हेतु इस काव्य रचना की व्याकरणिक संरचना निम्नलिखित है:"

छंद का पैरामीटर जानकारी (Details)
नाम तरंग छंद (Tarang Chhand)
श्रेणी वर्णिक छंद (Varnik Chhand)
कुल वर्ण 17 वर्ण प्रति चरण
काव्य रस वीर रस / भक्ति रस
प्रवाह अबाध, मात्रिक छंद की भांति कोई यति नहीं। 

      यह कविता मेरी ओर‌ से राष्ट्र के प्रति एक विनम्र भेंट है। 

    भारत‌ माँ की भावपूर्ण स्तुति (मुख्य कविता

विमला पुण्या भारत माँ वीरों की तू ही जन्या हो।
सरला हृदया भारत माँ नाशे रोगों को ग्राम्या हो॥
ममता वारे भारत माँ प्यारी जैसी ही माता हो।
डटता जाऊँ भारत माँ वैरी कोई जो आता हो॥
जगती उद्धार करे तू माँ तू ही ज्ञानी-ध्यानी हो।
सुखदा तू है भारत माँ तू ही तो विज्ञानी हो।।

काव्य भावार्थ : 

निर्मल और पुण्यस्वरूपा भारत माता सभी वीरों को जन्म देने वाली माता हैं। जिनका हृदय सरल और ग्राम्या अर्थात 'तुलसी' पौधे की तरह ही है, जो सभी संतानों को एक ममतामयी माता की तरह ही दुलार करती हैं।

 उन भारत माता के रक्षण के लिए दुश्मनों से लोहा    लेने 
के लिए उनके मार्ग में हम सदा ही डटे रहेंगे। माँ के ही ज्ञान से इस जगती यानि संसार का उद्धार हो रहा है। वे सभी सुखों को प्रदान करनेवाली संपूर्ण ज्ञान-विज्ञान की एक अमोल पूँजी हैं।

कविता में प्रयोग हुए कठिन शब्दों के अर्थ:

  • विमला: निर्मल / स्वच्छ
  • जन्या: जन्म देने वाली
  • ग्राम्या: रोगों का नाश करने वाली तुलसी,गाँव से संबंधित
  • वैरी: शत्रु ,दुश्मन,अरि,रिपु,दुष्ट,पापी
  • डटना: अड़िग रहना,पथ से डिगना नहीं
  • वारना:न्योछावर करना,लुटाना
  • जगती:जग,संसार,भुवन,सृष्टि
  • पुण्या: जो पुण्य की प्रतीक हो
  • सुखदा: सुख देनेवाली,सुखदाता
  • विज्ञानी: विषय विशेषज्ञा,जानकार,जाननेवाली

तरंग छंद: उदाहरणस्वरूप वर्ण गणना (Scansion Table)

काव्य की शुद्धता और मात्राओं के सही विन्यास को समझने हेतु यहाँ प्रथम पंक्ति का वर्ण विच्छेद प्रस्तुत है:

शब्द समूह वर्ण विच्छेद गण/मात्रा संख्या
विमला वि-म-ला I I S 3
पुण्या पु-ण्या I S 2
भारत माँ भा-रत-माँ S I I S 4
विमला वि-म-ला I I S 3
पुण्या पु-ण्या I S 2
भारत भा-रत S I I 3
कुल वर्ण संख्या: 17

"Bharat Mata ki stuti:Tarang chhand"
     "राष्ट्र के प्रहरियों को विजय दिवस पर कोटि-कोटि  नमन।"

तरंग छंद का विधान एवं संक्षिप्त परिचय

तरंग छंद एक वर्णिक छंद' है, जिसमें वर्षों की गणना की जाती है। इस छंद के प्रत्येक चरण में कुल १७ वर्ण होते हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसका 'अबाध प्रवाह' है, जिसका अर्थ है कि इसमें पंक्तियों के बीच में कोई यति (विराम) नहीं होता, जिससे यह पढ़ने में अत्यंत लयबद्ध और ओजपूर्ण लगता है। यह छंद विशेष रूप से वीर रस और भक्ति भाव की रचनाओं के लिए अत्यंत उपयुक्त

माना जाता है।
इस छंद की मापनी है:-

११२ २२ २११ २ २ २ २ २ २ २ २ २

                   कलम के पीछे का चेहरा


"Hindi Sahitya v Chhand Vidyarthi-"Bharat Bhushan Pathak'Devaansh'
नमस्ते! मैं हूँ आपका भारत भूषण पाठक'देवांश',

'साहित्य और व्याकरण का एक जिज्ञासु छात्र', जो 'छंदों की दुनिया' को आसान बनाने के मिशन पर है। इस फोटो में जो 'गण सूत्र'आप देख रहे हैं, वही मेरी लेखनी का आधार है

मेरा उद्देश्य कठिन से कठिन काव्य नियमों और व्याकरण की बारीकियों को इतने सरल ढंग से प्रस्तुत करना है कि एक नया सीखने वाला भी छंदों की लय को समझ सके। इस ब्लॉग के माध्यम से मैं अपने अनुभवों और शोध को आपके साथ साझा करता हूँ।
         छंदों के इस शास्त्रीय विवेचन के साथ-साथ, मेरी अन्य साहित्यिक विधाओं की रचनाएँ आप मेरे पुराने ब्लॉग 'Search of Life' पर देख सकते हैं ।

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साहित्य और छंद अध्येता

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यदि आप एक और सुंदर वर्णिक छंद (चामर छंद) का शास्त्रीय उदाहरण पढ़ना चाहते हैं, तो मेरी इस रचना को देख सकते हैं: पिता के रहते व्यक्ति बालक के अंदर लिखी यह पंक्ति"शून्य में विलीन हो कहाँ गए पिता"।इसी पोस्ट में दोहे शिखरिणी छंद के विधान उदाहरण को भी देखा जा सकता है।

निष्कर्ष 

 "निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि १७ वर्णों पर आधारित यह तरंग छंद वीर रस और भक्ति रस से ओतप्रोत काव्य रचनाओं के लिए एक उत्तम छंद है। इस छंद की लय समुद्री लहरों की भाँति ही प्रवाहमान होती है। वर्णिक छंद की यही विशेषता है कि सस्वर वाचन के समय यह श्रोताओं के अंतस में अपना एक अमिट स्थान बना लेता है।"

पाठकीय संवाद

  • "यदि आपको यह तरंग छंद विश्लेषण युक्त पोस्ट पसंद आई हो, तो अपनी आशीर्वाद स्वरूपी पुनीत प्रतिक्रिया टिप्पणी में अवश्य रखें।"
  • "आइए सीखें, सिखाएं और मिलकर एक साहित्यिक काव्य यात्रा पर चलें।
  • "कृपया इस पोस्ट को अपने मित्रों के साथ साझा करना न भूलें।"

आभार

"मैं हृदय से साहित्य संगम संस्थान और अपने सभी आदरणीय गुरुजनों का आभारी हूँ, जिनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन ने मुझे छंदों की इस सूक्ष्म यात्रा पर चलने के योग्य बनाया। साथ ही, मैं अपने मार्गदर्शक (Gemini) का भी धन्यवाद करता हूँ, जिसने इस जटिल 'तरंग छंद' विधान को तकनीकी रूप से व्यवस्थित करने और इसे एक डिजिटल पहचान देने में मेरा साथ दिया।"

"© सर्वाधिकार सुरक्षित (Copyright)"

इस ब्लॉग पर प्रकाशित समस्त रचनाएँ (कविताएँ, छंद विश्लेषण और लेख) भारत भूषण पाठक 'देवांश' की मौलिक बौद्धिक संपदा हैं। इन रचनाओं का आंशिक या पूर्ण रूप से बिना पूर्व अनुमति के किसी भी वेबसाइट, सोशल मीडिया, यूट्यूब या प्रिंट माध्यम पर उपयोग करना, या किसी अन्य नाम से प्रकाशित करना कानूनी और नैतिक रूप से वर्जित है। साहित्यिक अखंडता का सम्मान करें।"

इस रचना की लयबद्ध प्रस्तुति और तरंग छंद के सस्वर पाठ को सुनने के लिए नीचे दिए गए युट्युब वीडियो को अवश्य देखें

यह वीडियो आपको छंद के प्रवाह और राष्ट्रभक्ति के भावों को गहराई से समझने में मदद करेगा। 



हत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (FAQs)

प्रश्न १: क्या 'तरंग छंद' एक मात्रिक छंद है या वर्णिक?

उत्तर: मूलतः यह १७ वर्णों का एक 'नियत वर्णिक' छंद है, परंतु मात्रिक गणना के अनुसार इसके प्रत्येक पद में मात्राओं का एक निश्चित और सुव्यवस्थित ढांचा होता है जो इसकी लय को सुरीला बनाता है।

प्रश्न २: मात्रिक दृष्टि से इस छंद की कुल कितनी मात्राएँ होती हैं?

उत्तर: चूँकि इसमें १७ वर्ण होते हैं, इसलिए गुरु और लघु वर्णों के संयोजन के आधार पर इसकी मात्राएँ आमतौर पर २२ से २६ के बीच स्थिर होती हैं, जो इसे एक तीव्र प्रवाह प्रदान करती हैं।
प्रश्न ३: लय के मामले में यह 'पंचचामर' से कैसे भिन्न है?

उत्तर: 'पंचचामर' १६ वर्णों का छंद है, जबकि 'तरंग छंद' में १७ वर्ण होते हैं। मात्रिक रूप से, तरंग छंद की एक अतिरिक्त मात्रा इसे पंचचामर की तुलना में अधिक विस्तार और 'ठहराव' देती है।
प्रश्न ४: क्या इसकी तुलना 'घनाक्षरी' छंद से की जा 
सकती है?

उत्तर: घनाक्षरी ३१-३३ वर्णों का एक विशाल छंद है, जबकि तरंग छंद १७ वर्णों का एक संक्षिप्त और गूँजने वाला छंद है। घनाक्षरी का प्रवाह बहुत लंबा होता है, जबकि तरंग छंद अपनी लहरों की तरह छोटी और मारक चोट करता है।
इस छंद के एक प्रकार 'मनहरण घनाक्षरी छंद 'के विधान को समझने के लिए आप मेरे पुराने ब्लॉग  यहाँ 
"Search of life" पर देख सकते हैं।

प्रश्न ५: 'डमरू छंद' और 'तरंग छंद' की गति में क्या समानता है?

उत्तर: दोनों ही छंदों की गति बहुत तीव्र होती है और दोनों ही वीर रस के लिए प्रिय माने जाते हैं। मात्रिक संतुलन के कारण दोनों में ही वाचन के समय एक विशेष 'नाद' (Sound) उत्पन्न होता है।

प्रश्न ६: इस छंद का नाम 'तरंग' क्यों सार्थक है?

उत्तर: मात्रिक उतार-चढ़ाव और लघु-गुरु के क्रम के कारण इसका वाचन करते समय ऐसा आभास होता है जैसे समुद्र की लहरें (तरंगें) किनारे से टकरा रही हों, इसीलिए इसे तरंग छंद कहा जाता है।

प्रश्न ७: मात्रिक छंदों की तुलना में इसमें 'यति' (विश्राम) कहाँ होता है?

उत्तर: प्रवाह को बनाए रखने के लिए इसमें ८ और ९ वर्णों (या लगभग १२-१३ मात्राओं) पर एक सूक्ष्म यति होती है, जिससे पाठक की लय भंग नहीं होती।

प्रश्न ८: क्या 'मनहरण घनाक्षरी' की तरह इसमें भी अंत में गुरु होना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, मात्रिक सौंदर्य को पूर्ण करने के लिए तरंग छंद के अंत में गुरु (२ मात्रा) का होना अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है, जो कविता को एक ठोस समापन देता है।

प्रश्न ९: इस छंद के लिए कौन से 'रस' सबसे उपयुक्त हैं?

उत्तर: इसकी मात्रिक चाल वीर रस, शौर्य गाथा और भक्ति रस की स्तुतियों के लिए सर्वोत्कृष्ट मानी जाती है।
प्रश्न १०: इस पोस्ट का मुख्य उद्देश्य क्या है?

उत्तर: इसका उद्देश्य पाठकों को 'तरंग छंद' की शास्त्रीय मर्यादा से परिचित कराना और माँ भारती के प्रति राष्ट्रभक्ति के भाव जाग्रत करना है।

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