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क्यों अपनी मौन व्यथा नहीं कहते ये आँसू? जानिए आँसुओं के अनमोल मूल्य की कहानी।Kavitaon_ki_yatra

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  अनमोल मोती: क्यों अपनी मौन व्यथा नहीं कहते ये आँसू  Ek ladki ki ansoo bahati hui close-up photo, Meta Al se nirmit परिचय:-अनगिनत ध्वनियों में सुप्त व्यथा की सिसकी अनगिनत ध्वनियों के बीच सुप्त व्यथा की सिसकी संभवतः सुनाई ही नहीं देती है, क्योंकि अनगिनत ध्वनियों के बीच इन्हें सुन पाना संभव ही नहीं होता। आखिर क्यों अपनी मौन व्यथा नहीं कह पाते‌ ये आँसू? इन आँसूओं का अपनी सुप्त यानी मौन व्यथा का प्रदर्शन न करना, इस बात का कहीं संकेतक तो नहीं कि इन्होंने सागर की भांति अपने‌ अंतस में अपनी मौन व्यथा को संचय करना स्वीकार लिया। Shriramayanamritam part-7 अपनी मार्मिक पंक्तियों में इसी सुप्त व्यथा और संचित मौन का रहस्य खोलने का प्रयास मैंने किया है। । यह कविता छंद की दृष्टि से 'विधाता छंद' का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करती है, जो इसकी प्रवाहमयता और लय को बढ़ा देता है। मेरी इन स्वरचित मार्मिक पंक्तियों में मैंने इनका सच्चा और अनमो...

सादगी और विद्वत्ता के प्रतिरूप: तांटक छंद में प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को नमन | जन्म जयंती विशेष। kavitaon_ki_yatra

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डॉ. राजेंद्र प्रसाद: संघर्ष से राष्ट्रपति भवन तक, सादगी की अविस्मरणीय यात्रा। Kavitaon_ki_yatra भावपूर्ण श्रद्धांजलि, सादगी के महानायक को।  छंद साधना: तांटक छंद में डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को श्रद्धांजलि।  विद्वता और त्याग राजेन्द्र बाबू की जीवन गाथा।  Pita ke rehte vyakti balak निष्कर्ष और हमारी यात्रा प्रिय पाठकों और साहित्य सिंधु में डुबकी लगाने वाले साहित्यिक गोताखोरों!  'कविताओं की यात्रा' ब्लॉग पर आप सभी का हार्दिक अभिनंदन है। आज, 3 दिसंबर को, हम सब भारत रत्न, हमारे प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी की जयंती मना रहे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मुझे जीरादेई (सीवान, बिहार) की माटी के इस लाल को छंदों में याद करने का अवसर मिला है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि सर्वोच्च पद पर रहते हुए भी सादगी और विनम्रता को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। उनकी विद्वत्ता और त्याग की भावना हर भारतीय के लिए एक प्रेरणास्रोत है। आइए, उन्हीं की सादगी और राष्ट्र के प्रति समर्पण को समर्पित, तांटक छंद में रचित यह विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। छंद साधना: तांटक छंद में ड...

Pita ke rehte vyakti balak। kavitaon_ki_yatra

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Pita ke rehte vyakti balak । kavitaon_ki_yatra पिता क्या हैं और उनके इस संसार से परमधाम जाने के बाद व्यक्ति को कैसी अनुभूति होती है,मैंने अपने भाव विभिन्न छंदों के माध्यम से आपके समक्ष रखने का प्रयत्न किया है। Pita ke rehte vyakti balak hi hota hai, sachh hi to hai.  Read more Ek mard ka ankaha dard jb aansoo ne aankh se poocha-'kya mard main! ' सर्वप्रथम दोहे छंद में अपने मनोभाव रख रहा हूँ :- दोहा छंद एक अर्धसममात्रिक छंद है जो चार चरणों में पूर्ण होता है,यानि यहाँ हम ऐसा कह सकते हैं कि केवल चार चरणों में इस छंद में गूढ़ से गूढ़तम बात कही जा सकती है। इस छंद की लयबद्धता के लिए कल संयोजन का ध्यान रखना अनिवार्य होता है। सुन्दरतम कल संयोजन से यह सरस ,सुमधुर व मनोहारी बन जाती है 13-11 के इस विधान में कल संयोजन का ध्यान रखकर छंद विद्यार्थी इस सुन्दरतम छंद का अभ्यास कर सकते हैं। दोहे का प्रथम व तृतीय चरण विषम तथा द्वितीय व चतुर्थ चरण क्रमशः सम चरण कहलाता है। विषम चरणों की ग्यारहवीं मात्रा लघु होने से दोहे में सरसता लक्षित होती है। कल संयोजन से हमारा तात्पर्य मात्राओं...

Ek mard ka ankaha dard ।kavitaon_ki_yatra: जब आँसू ने आँख से पूछा— ‘क्या मर्द मैं!’(Ek mard ka ankaha dard: jb aansoo ne aankh se poocha-'kya mard main!')

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Ek mard ka ankaha dard।kavitaon_ki_yatra :-जब आँसू ने आँख से पूछा-'क्या  मर्द मैं !  क्या सचमुच पुरुषों को रोने का अधिकार नहीं होता? समाज हमेशा उन्हें मज़बूत देखना चाहता है, लेकिन उस 'फर्ज़' और 'कर्तव्य' के बोझ के नीचे कितनी ही भावनाएँ दबी रह जाती हैं। यह कविता उस दबे हुए दर्द, त्याग और सामाजिक उपेक्षा का मार्मिक चित्रण है, Ek mard ke ankahe dard  को दिखाने के आँसू खुद आँख से सवाल करते हैं। यह केवल कवि की नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की कहानी है जो दूसरों की नज़रों में 'शृंगार' को निखरता देखता है, जबकि खुद चुपचाप क्षीण होता जाता है। प्रस्तुत है, आँखों और आँसू के बीच का यह काव्यस्वरूपी हृदयस्पर्शी संवाद: Samosa-rasgulla vishvayuddha2025 सिसक-सिसक कह ही डाला,आँसू एक दिन आँख से। रो रहा मैं! दुख मुझे है,पर तू बता किस बात पे। कर रही तू व्यंग्य मुझ पे,रो-रो बता क्या मर्द मैं!- देखले तू आज अंदर,कितने छुपे ही दर्द हैं!१ तू दिखाती दर्द अपना,बहा रहा और दर्द मैं! बंद पलकें कर रही तू,हूँ भींग जाता सर्द मैं! नींद लेती थक सुनो तू,निभा रहा और फर्ज़ मैं!- रात दिन हो धूप गर्मी,स...

समोसे-रसगुल्ला विश्वयुद्ध 2025

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समोसा-रसगुल्ला विश्वयुद्ध 2025 (मनहरण घनाक्षरी छंद) "जिस घर- आँगन में बचपन नहीं पलता, वह घर आँगन काटने को दौड़ता है। जिस मुस्कान के वशीभूत हो पण्डित जवाहरलाल नेहरू, चाचा नेहरू हो गए— उन्हीं बच्चों के लिए यह प्रस्तुति ।" बच्चों की जादुई हँसी और किलकारी से प्रेरित, मेरी एक रचना प्रस्तुत हैं नवीनतम बाल-हास्य कविता: ' समोसा-रसगुल्ला विश्वयुद्ध 2025'! क्या आप जानते हैं कि समोसा क्यों कहता है कि 'रसगुल्ला शुगर बढ़ा रहा है' और रसगुल्ला, समोसे को 'जंक फूड' क्यों मानता है? इस मज़ेदार और ज़ोरदार बहस का आनंद लें, जिसे हमने कविकुल शिरोमणि नागार्जुन की प्रेरणा से लिखा है— "तुम्हारी दंतुरित मुस्कान, मृतक में भी डाल देगी जान!" यह कविता मनहरण घनाक्षरी छंद के विधान में पिरोई गई है, जो न केवल पढ़ने में आनंद देगी, बल्कि भारतीय छंद शास्त्र का ज्ञान भी बढ़ाएगी। बाल दिवस के अवसर पर बच्चों के दिल की बात जानने के लिए यह लेख अंत तक पढ़ें। सज्जनों! बच्चों की किलकारी, उनकी जादुई हँसी आपका मन मोह लेती है। इनकी हँसी ही मंत्रमुग्ध होकर कविकुल शिरोमणि नागार्जुन ने लिखा-तुम्...

श्रीरामायणामृतम् भाग-७

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"Image generated by AI via meta[kavitaonkiyatra68.blogspot.com/Bharat Bhushan Pathak'Devaansh']" सज्जनों! आप सभी के आशीर्वाद से मैंने पुनः रामायण लिखने का तुच्छ प्रयत्न किया है जिसे काव्य खण्डों में विभाजित कर यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ,आज के इस सातवें प्रसंग में जनकपुरी में सीता-स्वयंवर, इस अवसर पर शिव -चाप भंग,परशुराम जी के स्वयंवर सभा में आकर क्रोध करने ,लक्ष्मण जी व परशुराम जी के संवाद, श्रीराम जी का परशुराम जी से विनती,परशुराम जी का प्रभु श्रीराम को अपनी बात स्पष्ट करने के लिए शारङ्ग धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने को कहने, प्रत्यंचा चढ़ाकर राम जी का किस ओर बाण संधान करें यह कहने, परशुराम जी का संतुष्ट होकर सभा से जाने का वर्णन करने का प्रयत्न मैंने किया है। Shriramayanamritam part-6 इस प्रसंग की सफलता हेतु सर्वप्रथम सिद्धिदाता श्री गणेश, बाबा शुम्भेश्वरनाथ व माता शारदे से आशीर्वाद प्राप्त कर आप सबकी भी यथायोग्य प्यार-दुलार आशीर्वाद की कामना है। । ।श्री गणेश स्तुति।। प्रथम नमन हे गजवदन,विनती बारंबार। राघव चरित्र लिख रहा,आप ही बस आधार।। भारत भूषण पाठक'देवांश' 🙏🌹...

श्रीरामायणामृतम् भाग-६-श्रीराम-लक्ष्मण का जनकपुरी प्रस्थान व स्वयंवर वर्णन इत्यादि...

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  सज्जनों! आप सभी के आशीर्वाद से मैंने पुनः रामायण लिखने का तुच्छ प्रयत्न किया है जिसे काव्य खण्डों में विभाजित कर यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ,आज के इस छठे प्रसंग में राम-लक्ष्मण का महर्षि विश्वामित्र संग जनकपुरी प्रस्थान,मार्ग में माता गंगे व उनके यशस्वी पूर्वजों का महर्षि द्वारा वर्णन तथा सीता-स्वयंवर व परशुराम जी के स्वयंवर सभा में आकर क्रोध करने के प्रसंग का दर्शन  जो कराने का प्रयत्न मैंने किया है। श्रीरामायणामृतम् भाग-५ अपने इस रामायण के भाग-६ को आधार देने के लिए जो कि बालकाण्ड ही है को आधार देने के लिए मैंने यथोचित दोहा छंद का प्रयोग कर सिय-राम के मिलन का वर्णन करने का भी प्रयत्न किया है। आशा करता हूँ श्रीराम व सभी देवी-देवता के आशीर्वाद के साथ आप सभी भी मेरे इस रामायण को अपना आशीर्वाद प्रदान करने के लिए अपनी पुनीत प्रतिक्रिया अवश्य प्रदान करेंगे। दोहा छंद विधान:-  यह एक अर्धसममात्रिक छंद है जो चार चरणों में पूर्ण होता है,यानि यहाँ हम ऐसा कह सकते हैं कि केवल चार चरणों में इस छंद में गूढ़ से गूढ़तम बात कही जा सकती है। इस छंद की लयबद्धता के लिए कल संयोजन का ध्यान रखना अ...