सज्जनों! बच्चों की किलकारी, उनकी जादुई हँसी आपका मन मोह लेती है। इनकी हँसी ही मंत्रमुग्ध होकर कविकुल शिरोमणि नागार्जुन ने लिखा-तुम्हारी दंतुरित मुस्कान, मृतक में भी डाल देगी जान! जी हाँ सज्जनों, जिस घर- आँगन में बचपन नहीं पलता, वह घर आँगन काटने को दौड़ता है, आप भले ही कितने क्रोधित क्यों ना हों। इनके सामने आते ही खिलखिला उठते हैं। जिस मुस्कान के वशीभूत हो पण्डित जवाहरलाल नेहरू, चाचा नेहरू हो गए, उन बच्चों के लिए कुछ ना लिखा जाए तो ये बहुत घोर अन्याय होगा। इस हेतु प्रस्तुत है मेरी समोसे-रसगुल्ले की लड़ाई वाली कहानी काव्य रूप में, आनंद लें। साथ ही बच्चों को जब पढ़ने न कहा जाए, तो उनकी हृदयानुभूति कैसी रहती है, इसका भी आनंद उठाएँ। मनहरण घनाक्षरी छंद विधान :-यह एक वार्णिक छंद है तथा जिसका विधान प्रथम पंक्ति ८ वर्ण,द्वितीय पंक्ति ८ वर्ण,तृतीय पंक्ति ८ वर्ण तथा चतुर्थ पंक्ति ७ वर्ण है,इसमें १६-१५ की यति से कुल ३१ वर्ण होते हैं। इसमें चरणांतों में लघु-गुरु रखने से छंद में मधुरता आती है। Shriramayanamritam part-7 घर में समोसा आया, आते मुझे समझाया,...
"Image generated by AI via meta[kavitaonkiyatra68.blogspot.com/Bharat Bhushan Pathak'Devaansh']" सज्जनों! आप सभी के आशीर्वाद से मैंने पुनः रामायण लिखने का तुच्छ प्रयत्न किया है जिसे काव्य खण्डों में विभाजित कर यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ,आज के इस सातवें प्रसंग में जनकपुरी में सीता-स्वयंवर, इस अवसर पर शिव -चाप भंग,परशुराम जी के स्वयंवर सभा में आकर क्रोध करने ,लक्ष्मण जी व परशुराम जी के संवाद, श्रीराम जी का परशुराम जी से विनती,परशुराम जी का प्रभु श्रीराम को अपनी बात स्पष्ट करने के लिए शारङ्ग धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने को कहने, प्रत्यंचा चढ़ाकर राम जी का किस ओर बाण संधान करें यह कहने, परशुराम जी का संतुष्ट होकर सभा से जाने का वर्णन करने का प्रयत्न मैंने किया है। Shriramayanamritam part-6 इस प्रसंग की सफलता हेतु सर्वप्रथम सिद्धिदाता श्री गणेश, बाबा शुम्भेश्वरनाथ व माता शारदे से आशीर्वाद प्राप्त कर आप सबकी भी यथायोग्य प्यार-दुलार आशीर्वाद की कामना है। । ।श्री गणेश स्तुति।। प्रथम नमन हे गजवदन,विनती बारंबार। राघव चरित्र लिख रहा,आप ही बस आधार।। भारत भूषण पाठक'देवांश' 🙏🌹...